jaivik kheti protsahan yojana : मध्य प्रदेश को देश का सर्वाधिक जैविक खेती करने वाला राज्य माना जाता है. जिसे प्रमाणित जैविक कृषि क्षेत्र होने का गौरव प्राप्त है. पुरे भारत देश में जैविक खेती के कुल रकबे का लगभग 40% मध्य प्रदेश में है. इसलिए उत्पादन और क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश पूरे भारत में पहले स्थान पर है. वर्ष 2011 में प्रदेश की अपनी जैविक कृषि नीति बनाई गई थी. जैविक खेती के संबंध में निर्णय लेने के लिए जैविक खेती विकास परिषद का गठन प्रदेश के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में किया गया है.
किसानों को मुख्य रूप से जैविक कृषि पद्यति अपनाने के लिए सुवधाएँ मध्य प्रदेश में दी जा रही है. उत्पादों के लाभकारी विपणन के लिए जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण की व्यवस्था है जिसमें पंजीयन कराने के लिए भी निर्धारित शुल्क में राज्य सरकार द्वारा छूट व अनुदान दिए जाए हैं.
jaivik kheti kya hai एवं जैविक खेती के उद्देश्य
हमारे देश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और कृषकों की मुख्य आय का साधन खेती है. हरित क्रांति के समय बढती हुई जनसंख्या को देखते हुए एवं आय की दृष्टि से उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है अधिक उत्पादन के लिए खेती में अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशक का उपयोग करना पढता है जिससे सीमांत व् छोटे कृषक के पास कम जोत में अत्यधिक लागत लग रही है और जल, भूमि, वायु और वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. साथ ही खाद्य पदार्थ भी जहरीले हो रहे हैं. इसलिए इस प्रकार की उपरोक्त सभी समस्याओं से निपटने के लिए गत वर्षों से निरंतर टिकाऊ खेती के सिधांत पर खेती करने की सिफारिश की गई, जिसे प्रदेश के कृषि विभाग ने इस विशेष प्रकार की खेती को अपनाने के लिए बढ़ावा दिया जिसे आज हम “जैविक खेती” के नाम से जानते हैं.
“जैविक खेती” खेती करने की एक प्रक्रिया होती है जिसमें केवल प्राकृतिक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है. इसमें कोई भी रासायनिक, उर्वरक या उत्पाद का उपयोग नहीं किया जाता है. जैविक खेती में भूमि को स्वास्थ्य रखने के लिए जैविक खाद्य, जैविक कीटनाशक और उत्तेजक, पारंपरिक बीज और जैविक तंतुओं का प्रयोग किया जाता है. यह प्रक्रिया प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के साथ-साथ मिटटी की गुणवता को भी सुनिश्चित करती है जिससे उत्पादन भी बढ़ता है और पर्यावरण को हानि नहीं पहुँचती है.
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योजना का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश सरकार द्वारा समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन एवं उर्वरकों के संतुलन व समन्वित उपयोग द्वारा भूमि के स्वास्थ्य को बनाये रखते हुए दीर्घकाल ताल टिकाऊ उत्पादन प्राप्त करना है.
जैविक खेती के बारे में
योजना का नाम | जैविक खेती प्रोत्साहन योजना |
योजना का उद्देश्य | जैविक खाद्य का उपयोग कर भूमि के स्वास्थ्य को बनाये रखना |
आरंभ की तिथि | वर्ष 2011 |
योजना का कार्यक्षेत्र | मध्य प्रदेश के सभी जिलों पर लागू |
नोडल एजेंसी | किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मध्यप्रदेश |
jaivik kheti protsahan yojana – जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया
मध्य प्रदेश में जैविक प्रमाणीकरण संस्था राज्य के किसानो का जैविक कृषि उत्पादन प्रमाणीकरण करने के लिए कार्यरत है. योजना का मुख्य उद्देश्य जैविक उत्पादों का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुरूप प्रमाणीकरण करना है.
jaivik kheti protsahan yojana – जैविक खेती के लाभ
क्र. | किसानों को लाभ | सहायता मिलने वाली राशि रुपयों में |
1 | आर्गेनिक फॉर्म फील्ड स्कूल | 1700 रु. प्रति एफएफएस |
2 | एक दिवसीय जैविक कार्यशाला | एक दिवसीय कार्यशाला के लिए मात्र 3 लाख रूपये |
3 | भ्रमण राज्य स्तर | 30 किसानों के लिए राज्य के बहार कृषक प्रशिक्षण / भ्रमण के लिए 1.80 लाख रूपये प्रत्येक प्रशिक्षण / भ्रमण |
4 | राज्य के अंदर कृषक भ्रमण / प्रशिक्षण | 30 किसानों के लिए कुल 90 हज़ार रूपये प्रत्येक भ्रमण / प्रशिक्षण |
5 | एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण / जिला स्तर पर | एक दिवसीय 30 कृषकों के प्रशिक्षण के लिए 10000 रूपये का प्रावधान |
6 | वर्मीकम्पोस्ट | वर्मीकम्पोस्ट निर्माण पर लागत का 50 प्रतिशत अघिकतम 3000 रूपये जो भी कम हो |
7 | जैव कीटनाशक | लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 500 रूपये |
8 | जैव उर्वक / होर्मोनेस | लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 500 रूपये |
jaivik kheti protsahan yojana – जैविक खेती क्यों करना चाहिए?
पूरे विश्व में बढती हुई जनसंख्या एक गंभीर बिमारी है, बढती हुई जनसँख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को प्रभावित करती है. जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति ख़राब हो जाती है. साथ ही वातावरण प्रदुषित हो जाता है तथा मानव जीवन के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पढ़ता है.
अगर हम खेती के लिए रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों की जगह जैविक खाद्य का उपयोग अधिक से अधिक करेंगे तो इस भूमि की उर्वरा शक्ति को बचा सकते हैं.जिससे फसल उत्पादन रसायन रहित होगी एवं फसल प्राकृतिक तरीके से होने के कारण मानव जीवन के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर नहीं होगा. उपरोक्त ये सब कारणों से हमें “जैविक खेती” करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- जैविक खेती क्या होती है?
जैविक खेती में किसान रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशक की जगह प्राकृतिक उत्पादों द्वारा बनाए गए खाद्य एवं कीटनाशक का उपयोग खेती करने के लिए करते हैं. - जैविक खेती करने से क्या होता है?
जैविक खेती करने से भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाया जा सकता है जिससे भूमि प्रदुषण नहीं होगा. जैविक खेती के उपयोग से फसल भी अच्छा होगा एवं मानव स्वास्थ्य पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. - जैविक खेती के लाभ क्या है?
जैविक खेती के लाभ निम्न प्रकार से है:-- कृषकों की दृष्टि से लाभ
भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है. सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है. रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से कास्त लगत में कमी आती है. फसलों की उत्पादकता में वृद्धि. - मिटटी की दृष्टि से
जैविक खाद्य के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है. भूमि की जल धारण क्षमता बढती है. भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होता है. - पर्यावरण की दृष्टि से
भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है. मिटटी खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माद्यम से होने वाले प्रदुषण में कमी आती है. कचरे का उपयोग खाद्य बनाने में होने से बिमारियों में कमी आती है. फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि होती है.
- कृषकों की दृष्टि से लाभ
निष्कर्ष :- दोस्तों आज हमने पढ़ा कि जैविक खेती प्रोत्साहन योजना क्या है? जैविक खेती के (jaivik kheti kya hai) उद्देश्य क्या है? एवं इसके लाभ क्या-क्या है? सम्पूर्ण जानकारी हमने बताने की कोशिश की है.
मुझे उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट अच्छे से समझ में आ ही गया होगा. फिर भी आपको इस पोस्ट से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव है तो आप बेझिझक हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं.
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